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Showing posts from February, 2011

विनायक सेन : सिस्टम की उपज…………..

"ईश्वर ने सब मनुष्यों को स्वतन्त्र पैदा किया हैं, लेकिन व्यतिगत स्वतंत्रता वही तक दी जा सकती हैं, जहाँ दुसरो की आजादी में दखल न पड़े यही रास्ट्रीय नियमो का मूल हैं” जयशंकर प्रसाद का ये कथन किसी भी लोकतान्त्रिक व्यवस्था वाले देश के लिए सटीक बैठता हैं तो आखिर विनायक सेन ने ऐसा क्या किया की उन्हें रायपुर के जिला सत्र न्यायालय ने उम्रकैद की सजा दी? छत्तीेसगढ़ पुलिस ने पीयूसीएल नेता डॉ. बिनायक सेन को जन सुरक्षा कानून के अंतर्गत 14 मई 2007 को गिरफ्तार किया था। बिनायक सेन को देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, लोगों को भड़काने, प्रतिबंधित माओवादी संगठन के लिए काम करने के आरोप में दोषी करार दिया गया था और 24 दिसंबर 2010 को अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। और सजा के बाद जैसी अपेक्षा थी कई बुद्धिजीवी सामने आये और नई दिल्ली के जंतर मंतर पर विचारों, कविताओं और गीत-संगीत के जरिये अपना विरोध दर्ज कराने के लिए अर्पणा सेन, शार्मिला टैगोर, गिरीश कर्नाड, गौतम घोष, अशोक वाजपेयी व रब्बी शेरगिल जैसी कई जानीमानी हस्तियों ने पत्र लिखकर विनायक सेन के लिए न्याय की मांग की। डॉ. बिनायक सेन के मुकदमे के