लॉरेनॉ रेक्स केमरोन, रेयान कई ऐसे नाम है जिन्होनें
कुदरत को चुनौती दी। जन्म से ये लोग स्त्री लिंग के साथ पैदा हुए जो बाद में
जेन्डर ट्रांस के जरीए पुरुष बनें। लॉरेना रेक्स आज पेशेवर रुप से फोटोग्राफर हैं ।
एंड्रियास क्रिगर जन्म से पुरुष थें जिन्हे महिला एथेलिट के रुप में जर्मनी के लिए
कई प्रतिस्पधाए खेली। लॉरेनॉ रेक्स केमरोन नें फिमेंल सिम्प्टम के बावजुद अपने आप
को पुरुष के लिहाज से जिने के लायक बनाया । भारत की पिंकी प्रमानिक का उदाहरण अलग
हैं। पश्चिमी बंगाल के पुरलिया में जन्मी पिंकी पेशेवर धावक हैं जिसने 2006 के
एशियन खेलों में स्वर्ण व 2006 के ही कामनवेल्थ खेलों मे रजत पद से देश का गौरव
बढाया हैं। इसके अलावा कई उपलबधिया उनकें नाम है।
14 जुन 2012 को
पिंकी की महिला मित्र नें यह आरोप लगाकर सनसनी मचा दी की पिंकी पुरुष हैं व उसनें
उसके साथ शारारिक संबध बनाए हैं। अगले दिन पुलिस पिंकी को गिरफ्तार कर 14 दिनों की
न्यायिक हिरासत में ले लेती हैं जहां उसका डीएनए टेस्ट के लिए सैम्पल भी लिए गए।
इसी बीच पिंकी का एक एमएमएस सोशल साइटस, युट्युब पर आ जाता हैं जिसमें पिंकी के
सेक्स परीक्षण संबधी अंगों को दिखाया गया, ये कृत्य बड़ा ही धिनौना था जो उस
खिलाड़ी का सबसे बड़ा अपमान था जिसनें देश का खेल में प्रतिनिधित्व किया हैं।
हालाकि बाद में कई अन्य खिलाडी पिंकी के न्याय के लिए खड़े हुए, पिंकी की हिरासत
के दौरान हुए गलत व्यवहार का विरोध किसी
भी उस खिलाड़ी नें नहीं किया जो आज के समय टीवी पर चलनें वाले हर विज्ञापन में नजर
आते हैं जो निहत ही स्वार्थी प्रवृती दर्शाती हैं। पिंकी के मामले में मीडिया की
भुमिका भी संदेह के घेरे में आती है, खासकर टीवी मीडिया। इस बीच पिंकी पर आरोप
लगानें वाली साथी के बारे में ख़बर आई कि उसनें पिंकी पर यह आरोप सीपीआईएम की नेता
ज्योत्रिमोई सिकदर के कहनें पर लगाए है क्योंकि पिंकी व ज्योत्रिमोई सिकदर के पति
अवतार सिंह के बीच भुमि विवाद चल रहा हैं। अब सवाल उठता हैं कि इस पुरे वाक्य में
दोषी कौन हैं पिंकी,राजनेता, पिंकी पर आरोप लगानें वाली उसकी मित्र या ईश्वर.... ?
इससे पहले इस तरह की
घटना दोहा में 2006 हुए एशियन खेलों के दौरान हुई। जिसमें भारतीय महिला धावक सनथी
सुदराजन के स्त्री होनें को चुनौती दी गई । जब सनथी नें दोहा में महिला 800 मीटर
रेस में रजत पदक जीता उसके तुरंत बाद उन्हें लिंग परीक्षण से गुजरना पड़ा जिसमें
यह सामनें आया की सनथी में महिला होनें का कोई जैविक गुण मौजुद नहीं हैं। बाद में
उनसें पदक वापिस ले लिया गया । हालांकि इस तरह के टेस्ट किसी भी खेल में भाग लेने
वाले खिलाड़ी के लिए आवश्यक नहीं हैं पर इंटरनेशनल
ऐसोसिएशन ऑफ एथेलिटिकस फेडेरेशन (आईआईएएफ) विशेष परिस्थितियों में खिलाड़ी से इस तरह के
परिक्षण डॉक्टरों की विशेष टीम से करवानें का अनुरोध कर सकता हैं। सनथी सुदराजन के
कोच नें यह दलील दी की सनथी भारत का जन्म पिछड़े इलाके में हुई जहाँ कुपोषण काफी
हैं ऐसे में जब सनथी नें एथलीट के रुप में पोष्टीक आहार लेना शुरु किया, हो सकता
हैं कि इस कारण से ये बदलाव आया हो। 2006 सनथी सुदराजन को तमिलनाडु के तत्कालीन
मुख्यमंत्री श्री करुणानिधी नें 15 लाख रुपयें की आर्थिक सहायता दी जिसे सनथी
सुदराजन के साथ हुए अपमान की भरपाई के रुप में देखा गया । वर्ष 2007 में सनथी
सुदराजन नें सुसाईड करनें की कोशिश की पर ईश्वर नें बचा लिया जिसकी प्रमुख वजह
उसके सामाजिक अपमान व आर्थिक हालात को माना गया। बाद में सनथी सुदराजन नें अपने गृह
जिले पुदुकोट्टी में स्पोर्टस अकादमी की शुरुआत की व एथलीट कोच बनी। सनथी के हौसले
नें सनथी को दुबारा खड़ा किया पर हाल की रिपोर्ट के अनुसार सनथी आज ईट भठ्ठे पर
काम कर रही हैं और उसे महिला की हैसियत से कार्य मिला है व जिसकी दैनिक दिहाड़ी
मात्र 200 रु हैं,जो समाज के दो रुपों को स्पष्ट रुप से उजागर करता हैं। अगर किसी
चीज की कमी है सनथी को, तो वह है समाजिक स्वीकार्यता।
पिंकी व सनथी का महिला या पुरुष होना अगर जैविक रुप से
निर्धारित होता हैं तो उसके बाद की परिस्थितियों के लिए किसे जिमेदार ठहराया जाए
.... ? जैविक विज्ञान में अगर किसी महिला में पुरुष के
लक्षण या फिर किसी पुरुष में महिला के लक्षण हो तो इसे एण्ड्रोजन
इंनसेन्सिटीव सिंड्रोम माना जाता हैं यानि ऐसी परिस्थिती में पुरुष लिंग
निर्धारित करनें वाला Y क्रोमोसोम स्त्री के शरीर में X क्रोमोसोम के साथ मिल तो जाता हैं पर जेनेटिक
मेकअप सेल (एण्ड्रोजन) में निष्क्रिय रहता हैं और ऐसी स्थिती में फिमेल बॉडी टेस्टास्टरोन
(वृषणी) तो पैदा करती हैं पर किसी तरह के हार्मोन होने की अभिक्रिया नहीं पैदा
करती। अर्थात बिना किसी जनन अंग में परिवर्तन के स्त्री के बाईलोजिकल टेस्ट में Y क्रोमोसोम दिख जाता हैं जिससें उसे पुरुष माना
जाता हैं।यानि मौटे तौर पर देखा जाए तो लिंग निर्धारण का केन्द्र क्रोमोसोम हैं।
ठीक इसी तरह का वाक्या दक्षिण अफ्रीका की महिला धावक कास्टर सेमेन्या के
साथ हुआ पर वहां कि सरकार नें सेमेन्या को पुरा सहयोग दिया जिसमें जीत सेमेन्या की
हुई व दुबारा रेसिंग ट्रेक पर लौटी।
उपरोक्त वाक्यों से
स्पष्ट हैं कि सारा दोष ईश्वर का हैं अगर उसके बाद कोई जिम्मेदार हैं तो वह हैं
जैविक थयोरी। अगर कोई महिला के गुणों के साथ पैदा हुई हैं (जिसमें हाव-भाव, लिंग,
शारीरिक बनावट आदि शामिल हैं), पर एण्ड्रोजन इंनसेन्सिटीव सिंड्रोम की वजह
से जैविक टेस्ट में Y क्रोमोसोम उसमें पाया जाता हैं तो उसे पुरुष मान
लिया जाता हैं जो पुरी तरह से न्यायसंगत नहीं हैं। बायलोजिकल टेस्ट में पुरुष पाए
जाने वाला शख्स क्या संतान पैदा करनें में सक्ष्म है .... ? उसकी बॉडी में से पैदा होने वाले टेस्टास्टरोन
सक्रिय हैं.... ? इन बिन्दुओं को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
खेल हो या सामाजिक जीवन किसी भी इंसान को लिंग परीक्षण के आधार पर बहिष्कार करना
अनुचित हैं ।खेल के माध्यम से खिलाड़ी विश्व मंच पर अपने देश की पहचान बनाता हैं
ऐसे में या तो प्रतिस्पर्धा से पुर्व ही सभी खिलाड़ियों का गुप्त परीक्षण हो ताकी
बाद में ऐसी परिस्थितियां न पैदा हो की कोई अपना जीवन जौखिम में डाले। आईआईएएफ
को भी इस दिशा में कदम उठानें की जरुरत हैं । आज तक सिर्फ एथलीट पर ही इस तरह के
विवाद सामने आए हैं जबकि अन्य खेलों में ऐसे विवाद सामनें नहीं आए है । पिंकी का
बाइलोजिकल टेस्ट जो भी हो पर महिला होने का सम्मान उसे हमें देना ही होगा। अगर
ईश्वर नें किसी कमी के साथ किसी भी इंसान को धरती पर भेजा हैं जो उसे संम्पुर्ण
इंसान बनाने का जिम्मा समाज का बनता हैं।
Comments
some circumstantial has been changed life of any player. sexual harassment may became cause of suicide. the is moral responsibility of our that we respect all of them.
good view