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वाट ऍन आईडिया सर जी

“Only first class business and that in first class way......” David Ogilvy की ये लाइने विज्ञापन जगत की रीढ़ की हड्डी मानी जाती हैं, David Ogilvy ने विज्ञापन जगत को नायब नुस्खे दिए हैं 1948 में उन्होंने अपनी फार्म की शुरुआत की,जो बाद में Ogilvy & Mather के नाम से जानी गई ,,,,,,और जिस समय काम शुरू किया उनका एक भी ग्राहक नही था लेकिन ग्राहक की नब्ज पकड़ने में माहिर थे और कुछ ही वर्षो में उनकी कंपनी दुनिया की आठ बड़ी विज्ञापन जगत की कंपनी में से एक बनी और कई नामी ब्रांड्स को उन्होनी नई पहचान दी जिनमे Rolls-Royce ,American Express, Sears, Ford, Shell, Barbie, Pond's, Dove शामिल है ,और जुलाई 1999 को फ्रांस में उनका निधन हुआ विज्ञापन और ग्राहक के बीच रिश्ता कायम रखने के बारे में उनका कहना था की "ग्राहक का ध्यान खीचने के लिए आपका आईडिया बड़ा होना चाहिए जो उसे कंपनी का उत्पाद खरीदने को आकर्षित करे, अन्यथ आपका विज्ञापन उस पानी के जहाज के समान हैं जो अँधेरे में गुज़र जाता हैं .........." Dove के विज्ञापन की लाइन “Darling I’m having extraordinary experience …..” इसका उदहारण हैं...

कर्तव्यों का निर्वहन बनाम् अधिकार की मांग

भारतीय सविधान के अनुच्छेद 51A में नागरिको को उनके 11 कर्तव्यों का बोध कराया गया हैं जबकि अनुच्छेद 12 से 35 हमें हमारे अधिकारों के बारे में निर्देशित करता है ।हमारे कर्तव्यों की बुनियाद इतनी शसक्त हैं की , उनका अनुपालन करना हमारे लिए गर्व की बात हैं … अब बात आती हैं की , क्या … हम अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की बजाय अपने अधिकारों के प्रति ज्यादा सजग हैं ? किसी भी लोकतान्त्रिक व्यवस्था में कोई देश तब तक मानवीय मूल्यों में सर्वोपरि नही बन सकता जब तक वहां के नागरिक अपने कर्तव्यों का ठीक तरह से पालन नही करता .... | मसलन सड़क पर चलना हमारा अधिकार हैं लेकिन उसे रास्ट्रीय सम्पति होने के नाते उस पर गंदगी न फेलाना , ये हमारा कर्त्तव्य हैं ... पर मोटे तोर पर आंकलन करे तो पता चलता हैं की ज़्यादातर लोगों को ऐसा करने में शायद शर्म आती हैं , उदहारण के तौर पर हमारे देश की परिवहन व्यवस्था में हमारे कर्तव्यों की कमी साफ तोर पर देखी जा सकती हैं राजधानी दिल्ली में रास्ट्र मंडल खेल में जितने वोलेंटर हैं उन्हें बाकायदा इस बात का प्रशिक्षण दिया गया हैं की हमें किस तरह से मेहमानों से बात करनी हैं ...

हमें भारतीय होने पर गर्व हैं ..........

अ मेरिका में वहां के राष्ट्रपति पर उनकी नागरिकता पर जब सवाल उठाया गया , या 9/11 की बरसी पर कुरान शरीफ जलाने की एक पादरी द्वारा दी गई धमकी ये हाल ही में घटी वो घटनाये हैं जो पूरी दुनिया के मिडिया की सुर्खिया बनी अमेरिकी प्रशासन भी इस तरह की भ्रामक बातों से जेसे तेसे बहार निकले में उलझता रहा , अगर भारत की बात की जाये तो हमारे यहाँ लगभग 120 करोड़ की आबादी वाले देश में इस तरह की घटनाये चलती आ रही हैं लेकिन ये घटनाये हमारी राट्रीय अस्मिता पर कोई आंच नही आने देती ये वही सबसे बड़ा फर्क जो हमें दुनिया के ग्लोब पर धर्म-निरपेक्ष की छवि प्रदान करता हैं | यानि जितना सयंम हम भारतीयों में हैं वो पूरी दुनिया के सामने एक मिशाल हैं और हमें भारतीय होने का गर्व प्रदान करती हैं | भारत के तीन बड़े नेता जिनमे प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह का जन्म पाकिस्तान में हुआ , श्री लाल कृष्ण आडवानी भी पाकिस्तान में जन्मे है व यु.पी.ए. अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी इटालियन मूल की हैं , लेकिन हम भारतवाशियो ने कभी इन्हे रास्ट्रीय अस्मिता को हानी पहुचने वाला नही माना , चुकी हमारा संविधान कभी इसकी इजाज़त नही देता ...

शिक्षा, संस्कृति और समाज ......................

प्रेम को परिभाषित करना वर्तमान परिदर्ष्य में मुश्किल है…. चूँकि हर रोज इस बात पर बहस ज्यादा हो रही है की क्या प्रेम करने वालो को सामाजिक मान्यता मिलनी चाहिए विशेषकर उस समाज में जिसकी बुनियाद मनु ,अरुस्तु या ओशो का मिला जुला रूप हो सकती हैं जबकि प्रेम का आंकलन उन लोगो के बीच ज्यादा मायने नही रखता जो उच्च श्रेणी से तालुक रखते हैं नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का रिकॉर्ड खंगाले तो पता चलता है की 2008 तक देश में बलात्कार के 21467 मामले सामने आये , जबकि कुल 195856 मामले महिलाओ पर हो रहे अत्याचार के सामने आये अमेरिका की क्राइम इन यूनाइटेड स्टेट्स (CIUS) पर नज़र डाले तो अमेरिका में 2008 में 89000 रेप के मामले सामने आये , यानि आबादी के लिहाज से अमेरिका की हालत काफी शर्मनाक हैं ये आंकड़े वो है जो सिर्फ पोलिसे या प्रशासन द्वारा सामने आते हैं ऐसा नही है की 90 के दशक से पहले बलात्कार के मामले कम थे…….. पर पहले के आंकड़े बोलते है की जहाँ 1971 में बलात्कार के मात्र 2487 मामले सामने आये ( 1971 से रेप केस के आंकड़े इकठा करना शुरू किया गया है ) वही 2008 में 21467 यानि की 763 .2 % की ज़बरदस्त ...

राजनीती में नई पीढी

कांग्रेस के संकटमोचक श्री पर्णवमुखर्जी का ताज़ा बयान कि राहुल गाँधी अगले प्रधानमंत्री हो सकते है ये कोई नई बात् नही लगती क्योकी इससे पहले दिग्विजय सिंह और अर्जुन सिंह भी इस बात को दोहरा चुके है विपक्ष इसे परम्परा से जोडेगा लेकिन आज देश की हर पार्टी का कमोबेश यही हाल है हर पार्टी परिवारवाद से आलिंग है लेकिन नई पीढी कि इस कंपनी से कुछ उम्मीद कि जा सकती है राहुल , जितिन प्रसाद , अखिलेश यादव,सचिन पाइलेट, ऊमर अब्दुला आदि कुछ उधाहरण सामने है। ऊमर अब्दुला को कमान सोंप इसका आगाज़ भी हो चुका है। नई पीढी नई बुनियाद पर काम करेगी। पर क्या आवाम राहुल गाँधी को स्वीकार करेगी , उस स्थिति में जब उनके सामने हिंदूवादी विचारधारा के लाल कृषण आडवानी होंगे जारी है ...............................................