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मुनाफे का गणतंत्र


आज़ादी के बाद हुई 7 वी जनगणना में भारत की आबादी तक़रीबन 121  करोड़ हैं जिसमे पुरुष 62 करोड़ 37 लाख व महिलाएं 58  करोड़ 64 के करीब हैं व 74 .04 फीसदी साक्षरता हैं दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी हमारे देश की हैं ये 121 करोड़ का आंकड़ा कई मायनो में महत्वपूर्ण हैंमसलन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार , सबसे बड़ी युवा आबादीविभिन्न बोली - धर्म के लोग आदि….आदि | और क्रिकेट में जीत भी इसी बाज़ार का हिस्सा हैं क्यों की 121  करोड़ के बाज़ार में कोल्ड ड्रिंक तभी बिकेगी जब उस पर धोनी का फोटो होगा ऐसे में 2 करोड़ की आबादी वाले श्रीलंका का जितना किसी के लिए भी फायदेमंद नही होता | इतनी बड़ी आबादी का प्रतिनिधित्व कॉर्पोरेट सरकार के हाथ में हैं | वर्तमान में जो उथल पुथल चल रही हैं वो यकायक नही हैं .........जनता तक जो जानकारी पहुचती हैं उसका माध्यम मिडिया हैं, देश में कई घोटाले जेसे एस बेन्ड, 2G स्केम, कॉमनवेल्थ घोटाला, मनरेगा, या फिर PDS सिस्टम में अनियमितता के मामले सामने आये हैं इनमे से एस बेन्ड को छोड़ कर किसी को रोकने में न तो मिडिया कारगर साबित हुआ हैं और न ही विपक्ष ..........| गठबंधन की दुहाई देकर मोजुदा सरकार चाहे जनता से सहानुभूति लेना चाहे पर विपक्ष व मिडिया की मज़बूरी चिंताजनक हैं | जंतर मंतर पर अन्ना हजारे के साथ खड़े लोग अपना गुस्सा प्रकट कर रहे थे हर कोई उनके समर्थन में खड़ा था जनता का अपने चुने हुआ नुमायन्दो के खिलाफ रोष प्रकट करना जायज हैं ऐसे में विपक्ष का अन्ना को समर्थन देना विपक्ष की भूमिका को ख़त्म करने का संकेत हैं | चूँकि जो मोनेटरिंग का काम विपक्ष को करना चाहिए उसमे वो पूरी तरह से फेल साबित हुआ हैं ऐसे में सदन में विपक्ष का बने रहना अनुचित हैं उसे सरकार को बाहर से समर्थन देने वालो में गिनना ज्यादा प्रासंगिक होगा |
भर्ष्टाचार की शुरुवात गणतंत्र के निचले पायदान से होती हैं मसलन पंचायत से | पंचायत से लेकर संसद निधि की मोनेटरिंग के लिए देश में हजारो की संख्या में ब्युरोक्रेटेस तैनात हैं और सिस्टम की जानकारी ऊपर दिए गए 74 .04 फीसदी साक्षरता लोगो में से महज कुछ ही प्रतिशत लोगो को हैं साथ ही जनता का उदासीन रवैया यानि हर मुद्दे पर मौन रहना और चुनाव के समय आधारहीन मुद्दों पर मतदान करना ...और इन सब का फायदा ब्युरोक्रेटेस व जनप्रतिनिधि उठाते हैं |ऐसा नही हैं की सभी नेता या नोकरशाह गलत हैं लेकिन सही की संख्या गौण हैं | जन लोकपाल बिल, जो वर्षो से सदन में लंबित हैं आज तक किसी राजनेतिक दल ने इसे पास करने में तत्परता नही दिखाई हैं |अन्ना का रोष ऐसे समय बाहर आया हैं जिस समय एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे हैं और जनता के रोष को देखते हुए सरकार भी हरकत में आ गई अब जिस तरह का घटनाक्रम चल रहा हैं उससे साफ हैं की आगामी मोनसून सत्र में इसे पेश किया जायेगा पर इस बात को अन्ना भी जानते हैं की बिना सदन के बहुमत के इसे अमली जामा नही पहनाया जा सकता |अब सवाल उठता हैं की इस बिल के पक्ष में कौन वोटिंग करेगा | क्योकि हर राजनेतिक दल घोटालो की चारदीवारी से घिरे हुए हैं |






आंकड़ो में उलझता आम आदमी ना तो सिस्टम को समझ पाता हैं और ना ही उसे समझाने की कोशिश की जाती हैं अगर एक तरफ RTI सरीखे कानून बनते हैं तो दूसरी और गोपनीयता के आभाव में जनता भी इसके इस्तेमाल से कतराती हैं सिस्टम को दुरुस्त करने में जन लोकपाल विधेयक कारगर होगा बशर्ते इसे लचीला नही बनाया जाये ,मसलन केंद्र में लोकपाल व राज्य में लोकायुक्त को अपंग नही बनाये जाये ,जेसे की आज केंद्रीय सत्रकता आयोग और सी.बी.आई . हैं यानि कार्यपालिका और विधायिका को स्वतंत्र रखना होगा  |
देश की 121 करोड़ की आबादी पर दुनिया की नज़र हैं तभी तो अमेरिका भी भारत की राजनीती में गहरी रूचि रखता हैं धन्य हैं विकिलीक्स का ,जिसने इसे दुनिया के सामने रखा |अब देश की जनता को समझना चाहिए की आर्थिक मंदी के दौर में ओबामा का भारत दौरा और संसद को संबोधित करते हुए गाँधी का गुणगान व अपने भाषण के अंत में जय हिंद कहना कोई भारत के प्रति प्रेम नही था बल्कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को हम 121 करोड़ लोगो के ज़रिये सुद्रढ़ बनाना था | वर्तमान में देश में पैदा होने वाले गेहूं में गाज़र घास जिसे कांग्रेस घास के नाम से भी जाना जाता हैं अमेरिका की ही देन हैं,जिसकी मात्रा खाने में होने से अस्थमा का खतरा बना रहता हैं, लेकिन किसी भी सरकार की रूचि विदेशी सहयोग में ज्यादा रहती हैं वरना दो लड़ाकू जहाज के बदले देश के तक़रीबन साढ़े छ: लाख गावों को हेंडपंप के जरिये पीने का पानी मुहैया करवाया जा सकता हैं | इसके समाधान के लिए राईट टु रिकाल का होना भी बेहद ज़रूरी हैं जिससे लोकतान्त्रिक व्यवस्था में सरकार की जनता के प्रति जवाबदेही तय होगी, दूसरा व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए शेडो केबिनेट की भी अहम् भूमिका हो सकती हैं जिसमे विपक्ष सरकार के समकक्ष कार्य करता हैं दुनिया के कई देश इसराइल , स्कॉट्लैंड ,केनेडा, थाईलेंड ,इटली , ब्रिटेन आदि ने इस मॉडल को अपनाया हैं जिसके अच्छे परिणाम हैं | और साथ ही  मतदाताओ के सामने पक्ष व विपक्ष के कार्यो का मूल्याकन रहता हैं | सांसद निधि जिसकी शुरुआत नरसिम्हाराव सरकार ने की उसका आज कोई ओचित्य ही नही हैं क्यों की सेकड़ो योजनाओ का बजट बनता हैं जिसमे केंद्र और राज्य सहभागी होते हैं |
कानून ने जनता को अचूक ताकत हैं पर क़ानूनी जानकारी का आभाव ही इन घोटालो की मुख्या वजह हैं , पंचायत स्तर पर ना तो ग्राम सचिव लोगो को जानकारी देता हैं और ना ही जनता अपने अधिकारों  को जानती हैं | बिहार सरकार का नया राईट टु सर्विस बिल इसकी शुरुआत हैं जो नोकरशाह को जनता के प्रति जवाबदेह बनता हैं |
देश की ताकत और कमजोरी उसकी आबादी ही होती हैं अगर हम आज जागरूक हैं तो आने वाला हमारा कल सुरक्षित व सुनहरा हैं चाहे उसे कुछ लोग ना देख पाए पर आने वाली पीढ़ी हमेशा त्रृणी रहेगी जेसे आज हम अपने उन देशभक्तों के त्रृणी हैं जिनकी बदोलत खुली हवा में साँस ले रहे हैं | वरना आज गणतंत्र के मुनाफे को भोगने के लिए कई मुहँ खुले हैं और कुछ इस इंतजार में हैं की कुछ निवाला उनके मुहँ में भी आ जाये |

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