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सुंदर और अमीर विरासत हैं भारतीय संस्कृति


भारतीय संस्कृति विभिन्न संस्कृतियों, अपने पड़ोसियों की परंपराओं और अपने स्वयं की प्राचीन विरासत है, जिसमें बौद्ध धर्म , वैदिक युग, स्वर्ण युग, मुस्लिम विजय अभियान और यूरोपीय उपनिवेश की स्थापना , विकसित सिंधु घाटी सभ्यता आदि का मिश्रण है. भारतीय संस्कृति में विभिन्न संस्कृतियों जो बहुत अनोखी है और अपने स्वयं के एक मूल्य है एक महान मिश्रण को दर्शाती है. भारत के सांस्कृतिक प्रथाओं, भाषा, सीमा, परंपराओं और हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, और सिख धर्म के रूप में धार्मिक प्रणाली की विविधता को दर्शाती है. विभिन्न समृद्ध संस्कृतियों का अनूठा मिश्रण एक महान विस्तार के लिए दुनिया के अन्य भागों को प्रभावित किया है.
भारत में बोली जाने वाली भाषाओं की एक संख्या उसके विविध संस्कृति को जोड़ने का काम करती है. वर्तमान में भारत में 415 के करीब भाषा है, लेकिन भारतीय संविधान में हिन्दी के प्रयोग और अंग्रेजी संचार के दो आधिकारिक भाषाओं में संघ सरकार के लिए की घोषणा की है. व्यक्तिगत राज्य के आंतरिक संचार के अपने स्वयं के राज्य की भाषा में कर रहे हैं. भारत में दो प्रमुख भाषाई परिवारों इंडो - आर्यन , जो उत्तरी, पश्चिमी, मध्य और पूर्वी भारत तक ही सीमित है और द्रविड़ भाषाओं नें दक्षिणी भारत कों सीमित किया हैं।
चिदंबरम, रामेश्वरम, कांचीपुरम, मदुरै, और कई स्थान भारतीय वास्तुकला के लिए अविस्मरणिय है, वहीं  दक्षिण के महान मंदिर , विजयनगर साम्राज्य के वास्तुशिल्प भव्यता और मुगल वास्तुकला खजुराहो के कामुक मूर्तियां , दिल्ली, आगरा, और फतेहपुर सीकरी या उनके बेदाग जाली का काम के साथ जैसलमेर की हवेलियों आदि को देखनें से पता चलता हैं कि भारत कि कला व सस्कृति कितनी उमदा हैं।
भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और अच्छा शिष्टाचार का आईना
है। भारतीयों में अपने बड़ों का सम्मान करनें की प्रवृति रची बसी हैं और न केवल अपने बड़ों का वे अपने मेहमानों को भी देवता तुल्य मानते हैं। "अतिथि देवो भव " इसका मतलब अतिथि देवता है ।

संस्कृति का उल्लेख केवल संगीत, नृत्य, कला, और सिनेमा, शादी, मृत्यु संस्कार, तीर्थ यात्रा, बच्चों, बड़ों की परवरिश के तरीके के संदर्भ में नही हैं बल्की संस्कृति के अर्थ में असंख्य अन्य पहलुओं भी हैं.
भारतीय धर्मों, मान्यताओं, त्योहारों, अनुष्ठान, कलाकृतियों, स्मारकों, वेशभूषा, संगीत, नृत्य, भाषा और साहित्य भारतीय संस्कृति की पहचान विश्व पटल पर अंकित करवानें में सहायक  हैं और सामूहिक रूप से यह इतना अमीर है कि पुरी दुनिया भर के लोगों द्वारा सराहना व मान्यता प्राप्त है।


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मै पूत हां किसान दा ... गल करदा तकळे वन्गू सीदी मै इसी मिट्टी दे विच जमया हां.... ऐहे जमीन साडी मां हुंदी, दिल्ली दी संसद चे बह के तुस्सी करदे हो गल साडे हक दी, पर दिल्ली नहीं जानदी गल साडे दिल दी, बणिये , साहुकारां ते पत्रकारा नूं वल अपणे करके सरकारा सानू फायदे दसदी हैं पर जट दे पांव जडों जमीन दे पैदे हैं ता साडी जमीन भी हंसदी हैं....ते कहदी हैं... जटा अज गल तेरी पग ते आ खड़ी हैं.... सभाल पग अपणी, भावे पेजे अज 32 बोर चकणी.... एक एक दे गीटे भन्न दई.... गल बद जे ता वेरीया नू सफेदेया दे टंग दई.... पर जटा मै तेरी माँ हां... मां दी राखी लई तू अपणा शीश वी ला दई... अज दिया सरकारा नूं साडी लगदा फिक्र बाळी हैं... पर ओना नू की पता होदा की पंजाळी हैं.... औहो झूटे लंदे 20 लख दी गडिया ते,,, मै झूटे लंदा हा 20 फुट लम्बे सुहागे ते.... बस करो सियासत दे बंदयो....तुहाडे झास्या चे नहीं आणा.... तुस्सी ता हो ही इने झूटे की साख करादो ... भांवे बंदा होवे काणा.... बस ईनी जेही विनती हैं कि अपनी भेड़ी नज़रा दूर रखों साड़ी पेळीया तो...

वर्तमान राजनीति में मैकियावेली

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